Hemant Soren Bail Plea : सुप्रीम कोर्ट से एक बार फिर झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अंतरिम जमानत याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। दरअसल,दिल्ली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जमानत मिलने क बाद सोरेन ने भी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर खुद के लिए जमानत मांगी थी।
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शीर्ष अदालत ने सोरेन की याचिका पर विचार (Hemant Soren Bail Plea) करने से इनकार कर दिया। साथ ही सच को दबाने के लिए फटकार लगाई। अदालत ने पाया कि याचिकाकर्ता ने इस तथ्य का खुलासा नहीं किया है कि ट्रायल कोर्ट ने मामले में आरोपपत्र का संज्ञान लिया है। वहीं, फटकार के बाद हेमंत सोरेन का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अंतरिम जमानत की मांग वाली याचिका वापस ले ली।
क्या गिरफ्तारी की वैधता का परीक्षण हो सकता है?
इससे एक दिन पहले 21 मई को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने जमीन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में आरोपी सोरेन की अंतरिम जमानत की अर्जी पर सुनवाई के दौरान सवाल किया था कि अगर ट्रायल कोर्ट ने मामले में संज्ञान लेकर जमानत को खारिज कर दिया है तो क्या गिरफ्तारी की वैधता का परीक्षण हो सकता है? कोर्ट ने हेमंत सोरेन के वकील से पूछा था कि नियमित जमानत की अर्जी खारिज होने के बाद लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए उन्हें कैसे अंतरिम जमानत दी जा सकती है।
केजरीवाल से अलग है केस: ईडी
ईडी ने इसका विरोध किया था और कहा था कि सोरेन का केस दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल से अलग है। अगर प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दी गई तो इस तरह के कई नेताओं के मामले कोर्ट के सामने आएंगे। ऐसे मामलों की बाढ़-सी आ जाएगी।
तीन मई को की थी याचिका खारिज
सोरेन ने अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए झारखंड उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी, जिसे अदालत ने तीन मई को खारिज कर दिया, जिसके बाद उन्होंने शीर्ष अदालत का रुख किया। सोरेन ने गिरफ्तारी के खिलाफ उनकी याचिका पर अदालत का फैसला आने तक लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए अंतरिम जमानत भी मांगी थी। शीर्ष अदालत ने 10 मई को अरविंद केजरीवाल को लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दे दी थी। केजरीवाल को कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से संबंधित धन शोधन के एक मामले में गिरफ्तार किया गया था।
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