देहरादून। Investigation of Madarsa : आइएसबीटी के पास आजाद कालोनी में संचालित मदरसा जामिया तुस्सलाम अल इस्लामिया की जांच को लेकर उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने प्रमुख सचिव अल्पसंख्यक कल्याण एवं राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को पत्र लिखा है।
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बाल आयोग ने मदरसा को जुम्मे की नमाज से एकत्रित चंदे से संचालित करने का आरोप लगाया। इसके साथ ही मदरसा का शिक्षा विभाग में पंजीकृत न होने की बात कही है। साथ ही उन्होंने प्रदेशभर में अवैध रूप से संचालित मदरसों की भी जांच की मांग की है।
30 बच्चों की तबीयत बिगड़ने पर टीम ने औचक निरीक्षण किया
उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डा. गीता खन्ना ने बताया कि आइएसबीटी के पास आजाद कालोनी में संचालित मदरसा जामिया तुस्सलाम अल इस्लामिया में अध्ययनरत 30 बच्चों की तबीयत बिगड़ने पर टीम ने औचक निरीक्षण किया था।
यहां पाया गया कि 200 गज की जमीन पर तकरीबन चार मंजिला मदरसा का निर्माण किया गया। जिसमें 55 बच्चे रह रहे थे। जबकि कुल 150 बच्चे मदरसा में अध्ययनरत हैं। आयोग की टीम के गहनता से पड़ताल करने पर यह मामला सामने आया कि मदरसा के निर्माण के दौरान एमडीडीए से नक्शा पास नहीं किया गया।
मदरसा संचालक से पूछने पर संतुष्ट जवाब नहीं दिया गया (Investigation of Madarsa)
मदरसा संचालक (Madarsa) से पूछने पर संतुष्ट जवाब नहीं दिया गया। मदरसा मानकों के अनुरूप संचालित किया जा रहा है। 13 मई को उत्तराखंड बाल संरक्षण आयोग ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग से मिलकर शिकायत दर्ज की गई, जिस पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने कड़ा एतराज जताया।
डा. खन्ना ने बताया कि गुरुवार को प्रमुख सचिव अल्पसंख्यक कल्याण को पत्र भेजा गया है, जिसमें उन्होंने प्रदेशभर में अवैध रूप से संचालित मदरसों की जांच करने को कहा है।
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